सावन भगवान शिव के साथ-साथ उनके भक्तों के लिए भी विशेष प्रिय माह होता है। इस बार सावन का पहला सोमवार 6 जुलाई को है। मान्यता है कि इस महीने भगवान विष्णु पाताल लोक में रहते हैं इसलिए भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हैं।
सावन सोमवार कितनी तारीख को
सावन का पहला सोमवार 06 जुलाई 2020
सावन का दूसरा सोमवार 13 जुलाई 2020
सावन का तीसरा सोमवार 20 जुलाई 2020
सावन का चौथा सोमवार 27 जुलाई 2020
सावन का पांचवा सोमवार 03 अगस्त 2020
भगवान शिव शंकर की पूजा सामग्री:
भगवान शिवजी की पूजा में गंगाजल का उपयोग जरूर करें। शिवजी की पूजा के समय उनके पूरे परिवार अर्थात् शिवलिंग, माता पार्वती, कार्तिकेयजी, गणेशजी और उनके वाहन नन्दी की संयुक्त रूप से पूजा की जानी चाहिए। शिवजी की पूजा में लगने वाली सामग्री में जल, दूध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृत, कलावा, वस्त्र, जनेऊ, चन्दन, रोली, चावल, फूल, बिल्वपत्र, दूर्वा, फल, विजिया, आक, धूतूरा, कमल-गट्टा, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, पंचमेवा, भांग, धूप, दीप का इस्तेमाल किया जाता है।
भगवान शिव शंकर 10 चीजें चढ़ाने पर जल्दी प्रसन्न होते हैं भगवान शिव को यह अति प्रिय है।
1. जल मंत्रों का उच्चारण करते हुए शिवलिंग जल चढ़ाने से हमारा स्वभाव शांत और स्नेह होता है।
2. केसर शिवलिंग पर केसर अर्पित करने से झौम्यता मिलती है।
3. चीनी (शक्कर) महादेव का शक्कर से अभिषेक करने से सुख और समृद्धि बढ़ती हैऐसा करने मनुष्य के जीवन से दरिद्रता चली जाती है।
4. इत्र शिवलिंग पर इत्र लगाने से विचार पवित्र और शुद्ध होते हैंइससे हम जीवन में गलत कामों रास्ते पर जाने से बचते हैं।
5. दूध शिव-शंकर को दूध अर्पित करने से स्वास्थ्य हमेशा अच्छा रहता है और बीमारियां दूर होती हैं।
6. दही पार्वतीपति को दही चढ़ाने से स्वभाव गंभीर होता है और जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होने लगती हैं।
7. घी भगवान शंकर पर घी अर्पित करने से हमारी शक्ति बढ़ती है।
8. चंदन शिवजी को चंदन चढ़ाने से हमारा व्यक्तित्व आकर्षक होता है। इससे हमें समाज में मान-सम्मान और यश मिलता है।
9. शहद भोलेनाथ को शहद चढ़ाने से हमारी वाणी में मिठास आती है।
10. भांग औघड़-अविनाशी शिव को भांग चढ़ाने से हमारी कमियां और बुराइयां दूर होती हैं।
भगवान शिव शंकर को प्रसन्न करने के लिए शिव मूल मंत्र
ॐ नमः शिवाय॥
यह भगवान शिव का मूल मंत्र हैं। मंत्रों में सबसे लोकप्रिय मंत्र भी है जिसे हिंदू धर्म में आस्था रखने वाला हर शिव उपासक जपता है इस मंत्र की खास बात यह है कि यह बहुत ही सरल मंत्र है जिसके द्वारा कोई भी भगवान शिव की उपासना कर सकता है। इस मंत्र में भगवान शिव को नमन करते हुए उनसे स्वयं के साथ-साथ जगत के कल्याण की कामना की जाती है।
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनानत् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
यह माना जाता है कि इस महामृत्युंजय मंत्र के जाप से भगवान शिव को प्रसन्न कर उनकी असीम कृपा तो प्राप्त होती ही है साथ ही यदि साधक इस मंत्र का सवा लाख बार निरंतर जप कर ले तो वर्तमान अथवा भविष्य की समस्त शारीरिक व्याधियां एवं अनिष्टकारी ग्रहों के दुष्प्रभाव समाप्त किये जा सकते हैं। यह भी माना जाता है कि इस मंत्र की साधना से अटल मृत्यु को भी टाला जा सकता है। इस मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद में हुआ है। मंत्र में कहा गया है कि जो त्रिनेत्र हैं एवं हर सांस में जो प्राण शक्ति का संचार करने वाले हैं जिसकी शक्ति समस्त जगत का पालन-पोषण कर रही है हम उन भगवान शंकर की पूजा करते हैं। उनसे प्रार्थना करते हैं कि हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्ति दें ताकि मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त हो। जिस प्रकार ककड़ी पक जाने पर बेल के बंधन से मुक्त हो जाती है उसी प्रकार हमें भी ककड़ी की तरह इस बेल रुपी संसार से सदा के लिए मुक्त मिले एवं आपके चरणामृत का पान करते हुए देहत्याग कर आप में ही लीन हो जाए।
इस महामृत्युंजय मंत्र के 33 अक्षर हैं। महर्षि वशिष्ठ के अनुसार ये 33 अक्षर 33 देवताओं के प्रतीक हैं जिनमें 8 वसु, 11 रुद्र, 12 आदित्यठ, 1 प्रजापति एवं 1 षटकार हैं। इसलिए माना जाता है कि इस मंत्र सभी देवताओं की संपूर्ण शक्तियां विद्यमान होती हैं जिससे इसका पाठ करने वाले को दीर्घायु के साथ-साथ निरोगी एवं समृद्ध जीवन प्राप्त होता है।
कुछ साधक इस महामृत्युंजय मंत्र में संपुट लगाकर भी इसका उच्चारण करते हैं जो निम्न है:
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः
ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।।
ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ
रुद्र गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि _
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥