नागकुआँ मन्दिर बनारस
वाराणसी के इस पोखरे (तालाब) के अन्दर एक कुआँ है और उस कुएँ के अन्दर है बहुत ही प्राचीन शिवलिंग।
साल में बस नागपंचमी के दिन ही यहा पर शिवलिंग के दर्शन मिलते हैं।
शिव की इस नगरी से जाता है नाग लोक का रास्ता, तस्वीर देखकर रह जायेंगे दंग...
वाराणसी शिव की इस नगरी से ही नागलोक जाने का रास्ता है। नागकुंड में एक कुआं छिपा हुआ है जहां से ही नागलोक जाने का रास्ता है। नागपंचमी पर यहां दर्शन करने से कालसर्प योग से मुक्ति मिलती हैअपने तरह के अनोखे इस मंदिर में बुधवार को सुबह से ही दर्शन करने वालों की लाइन लगी है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिव की नगरी काशी से ही नागलोक जाने का रास्ता है। बनारस के जैतपुरा स्थित नागकुंड की प्राचीनता किसी से छिपी नहीं है। नागकुंड के अंदर ही एक कुआं है जहां से नागलोक जाने का रास्ता है। कुआं के अंदर प्राचीन शिवलिंग भी स्थापित है जो साल भर पानी में डूबा रहता है और नागपंचमी के पहले कुंड का पानी निकाल कर शिवलिंग का श्रृंगार किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं की माने तो यहां पर आज भी नाग निवास करते हैंनागकुंड स्थित कुएं का वर्णन धर्म शास्त्र में भी किया गया है।
कालसर्प योग से मुक्ति के लिए बेहद खास है नागकुंड, महर्षि पतंजलि के तप से हुआ था निर्माण।
देश में तीन ही ऐसे कुंड हैं जहां पर दर्शन करने से कालसर्प योग से मुक्ति मिलती है। जैतपुरा का कुंड ही मुख्य नागकुंड है। बताया जाता है कि महर्षि पतंजलि ने अपने तप से इस कुंड का निर्माण कराया था। महर्षि पतंजलि द्वारा स्थापित एक शिवलिंग भी है। नागपंचमी के पहले कुंड का जल निकाल कर सफाई की जाती है फिर शिवलिंग की पूजा की जाती है इसके बाद नागकुंड फिर से पानी से भर जाता है। इसी नागकुंड से होकर नागलोक जाने का रस्ता भी है।
सुबह से ही दर्शन करने वालों की लगी है कतार नागकुंड में दर्शन करने वालों की सुबह से ही कतार लगी हुई है। यहां पर दूर-दराज से लोग दर्शन करने आते हैं। नागकुंड का दर्शन करने से ही कालसर्प योग से मुक्ति मिलती है इसके अतिरिक्त जीवन में आने वाली सारी बाधाएं खत्म हो जाती है। बनारस में नागकुंड का विशेष स्थान है जिस नगरी में स्वयं महादेव विराजमन रहते हैं वहां का नागकुंड अनोखा फल देने वाला होता है।