ग़ज़ल
बलजीतासह बनाम
ज़ियादा न मुश्किल का इम्कान रख।
नज़र में नए रोज़ सौपान रख।।
सदा तूने औरों की धड़कन सुनी।
कभी मेरी धड़कन का भी ध्यान रख।।
वो तेरा सनम या कोई और है।
मोहब्बत में इतनी तो पहचान रख।।
वफ़ाओं के रोशन सदा दीप कर ।
कभी दिल की राहें न सुनसान रख।।
अभी रस जमाने में बिखरा कहाँ।
कहॉं किंसने उपनाम रसखान रख।।