कविता-रक्तदान
रक्तदान दिवस पर
दुनियाँ के समस्त रक्त दान करने वाले देवदूतों को समर्पित
रक्त अर्चना करने वालो, हे मतवालो तुम्हें प्रणाम।
जीवन दाता रक्त प्रदाता, रचने वालो तुम्हें प्रणाम।।
किसको है परवाह यहाँ पर, उमरा बीती जाती है।
मतलब स्वार्थ परस्ती खातिर, दुनिया जीती जाती है।।
नज़रें फेर खड़ा है इंसा, दुनिया देखे खड़ी खड़ी।
जिस पर बीती वो सुलझाए, हमको क्या परवाह पड़ी।।
निष्ठुर कलयुग में सतयुग से, जीने वालो तुम्हें प्रणाम।
जीवन दाता रक्त प्रदाता, रचने वालो तुम्हें प्रणाम।।
निर्मम है वो आँखे जो ना, द्रवित हो देख कराहों को।
कान है जालिम करें अनसुना, तड़पन वाली आहों को।।
उठते तो देखे हैं हमने, कितने हाथ दुआओं मे।
गिरतों को जो थाम सकें ना, क्या रक्खा उन हाथों मे।।
राधा कृष्ण कहें या तुमको, महावीर भगवान कहें कहें।
नानका या पैगम्बर, या इस युग के राम कहें।।
रग रग रुधिर फड़कता लेकर, जीवन देने निकले हैं।
एक नहीं अनगिनत शरीरों, में जीने को मचले हैं।।
इस धरती के इस युग के, मौलिक भगवानो तुम्हें प्रणाम।
जीवन दाता रक्त प्रदाता, रचने वालो तुम्हें प्रणाम।।