गाय को कामधेनु मानती है हमारी संस्कृति
सेवाभावी कार्यकर्ता को सम्मानित करते श्री मोहनराव भागवत। साथ में हैं (बाएं) श्री बाबा साहेब पुरंदरे
गाय को कुछ हिन्दू ही बूचड़खाने तक पहुंचा देते हैं। उन्होंने कहा कि समाज के दैनंदिन जीवनचक्र के संचालन में गाय का योगदान सर्वश्रेष्ठ है।
पिछले दिनों पुणे स्थित गो विज्ञान संशोधन संस्था व दादरा नगर हवेली मुक्ति संग्राम समिति द्वारा श्रद्धेय मोरोपंत पिंगले गो-सेवा पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत। गोभक्तों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अगर प्रत्येक परिवार गाय का रखवाला बन जाए तो देश में आमूल-चूल परिवर्तन होंगे। सारा समाज जागृत होगा। समाज की भावना जागेगी तो मनुष्य का जीवन ही बदल जाएगा। भारतीय संस्कृति ने गाय को 'विश्व माता' कहा है। हमारी संस्कृति गाय को कामधेनु मानती है। मगर उसी गाय को कुछ हिन्दू ही बूचड़खाने तक पहुंचा देते हैं। उन्होंने कहा कि समाज के दैनंदिन जीवनचक्र के संचालन में गाय का योगदान सर्वश्रेष्ठ है। इसलिए गाय का महत्व संपूर्ण समाज को बताया जाना चाहिए। गायों के संवर्धन से अर्थतंत्र में वृद्धि होती है, लेकिन सिर्फ आर्थिक दृष्टि से गाय का आकलन न करें। हमारे घरों में वृद्ध माताएं रहती हैं। उनसे हम प्रेम करते हैं। हम अपनी मां को अपने से दूर नहीं करना चाहते, इसी तरह गाय को भी दूर नहीं रखना चाहिए। वैज्ञानिक कसौटियों पर भी गाय को सर्वश्रेष्ठ ठहराया गया है। विदेशों में भी गाय को लेकर लोगों के विचार बदल रहे हैं। भारतीय वंश की गायों का निर्यात बहुत पहले से होता रहा है, ब्राजील जैसे देश में वहां के गो-वंश को बदलने के लिए भारतीय वंश की गायों को भेजा जा रहा है।
अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के साधन के रूप में गायों की ओर देखा जा रहा है। देसी गायों का उपयोग अधिकाधिक संख्या में होने लगा है, मगर गो-रक्षा का कार्य सिर्फ सरकार पर आधारित होने से नहीं चलता, हर व्यक्ति के मन में गो-रक्षा का भाव जागृत होना चाहिए। इस मौके पर श्रद्धेय मोरोपंत पिंगले राष्ट्रीय गो-सेवा पुरस्कार कोलकाता स्थित गो सेवा परिवार को प्रदान किया गया एवं राज्य स्तरीय पुरस्कार के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्य करने वाली वैद्य ज्योतिताई मुंदरगी व वैद्य अजीत उदावंत को दिया गया। इस अवसर पर गो विज्ञान संशोधन संस्था के अध्यक्ष श्री राजेंद्र लुंकड, प्रसिद्ध रंगकर्मी श्री बाबासाहेब पुरंदरे, पुणे महानगर के संघचालक श्री रवींद्र बंजारवाडकर उपस्थित रहे। विसंकें, पुणे