अयोध्या रामजन्म भूमि के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला वहीं बनेगा राम मंदिर मस्जिद बनाने के लिए अलग पांच एकड़ जमीन मिलेगी
अयोध्या मामला: वहीं रहेंगे राम, मुसलमानों को मस्जिद के लिए अलग जगह मिलेगी जमीन
सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को 70 साल से कानूनी लड़ाई में उलझे देश के सबसे चर्चित अयोध्या भूमि विवाद मामले में फैसला सुनाया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर की संविधान पीठ ने राजनैतिक, धार्मिक और सामाजिक रूप से संवेदनशील इस मामले की 40 दिन तक मैराथन सुनवाई करने के बाद गत 16 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। देश के संवेदनशील मामले में फैसले के मद्देनजर देशभर में पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर हैं। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि मंदिर निर्माण के लिए तीन महीने में एक ट्रस्ट बनाए। वहीं मुसलमानों को अयोध्या में ही मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया है।
11.26 AM- सुप्रीम कोर्ट के परिसर में लगे जय श्रीराम के नारे। अदालत परिसर में वकीलों ने जब जय श्रीराम के नारे लगाए तो दूसरे वरिष्ठ वकीलों ने उन्हें ऐसा करने से रोका...
11.20 AM- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि वह तीन से चार महीने के भीतर सेंट्रल गवर्नमेंट ट्रस्ट की स्थापना के लिए योजना बनाए और विवादित स्थल को मंदिर निर्माण के लिए सौंप दे। अदालत ने यह भी कहा कि अयोध्या में पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को प्रदान करे।
11.00 AM- साक्ष्यों से पता चलता है कि मुस्लिम शुक्रवार को विवादित स्थल पर नमाज पढ़ते थे। इससे संकेत मिलता है कि उनका अधिकार खत्म नहीं होता है।
10.58 AM- सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इस बात के प्रमाण हैं कि अंग्रेजों के आने से पहले राम चबूतरा, सीता रसोई पर हिंदुओं द्वारा पूजा की जाती थी। अभिलेखों में दर्ज साक्ष्य से पता चलता है कि हिंदुओं का विवादित भूमि के बाहरी हिस्से पर कब्जा था।
10.53 AM- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदुओं की आस्था और उनका विश्वास है कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। हिंदुओं की आस्था और विश्वास है कि भगवान राम का जन्म गुंबद के नीचे हुआ था। यह व्यक्तिगत विश्वास का विषय है
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10.50 AM- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुख्य ढांचा इस्लामी संरचना नहीं थी। The underlying structure was not an Islamic structure- PTI
10.45 AM- सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) संदेह से परे है। इसके अध्ययन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। अदालत ने निर्मोही अखाड़ा के दावे को खारिज किया। निर्मोही अखाड़ा का दावा केवल प्रबंधन का है। निर्मोही अखाड़ा सेवादार नहीं है।