अवैध तरीके से भारत में प्रवेश करने वाले विदेशी नागरिकों को देश की सुरक्षा के लिए ''गंभीर खतरा'' करार देते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बृहस्पतिवार को कहा कि घुसपैठ की समस्या से जूझ रहे क्षेत्रों में ''राष्ट्रीय नागरिकता पंजी'' की प्रक्रिया को प्राथमिकता के आधार पर अमल में लाया जाएगा।
उन्होंने कहा, ''सीमा पार आतंकवादी ठिकानों पर, पहले सर्जिकल स्ट्राइक और फिर पुलवामा हमले के बाद एयर स्ट्राइक करके भारत ने अपने इरादों और क्षमताओं को प्रदर्शित किया है। भविष्य में भी अपनी सुरक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाए जाएंगे।''
राष्ट्रपति ने कहा कि नया भारत ''संवेदनशील'' भी होगा और ''आर्थिक रूप से समृद्ध'' भी। लेकिन इसके लिए देश का सुरक्षित होना बहुत ज़रूरी है। उन्होंने कहा, ''मेरी सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। यही कारण है कि आतंकवाद और नक्सलवाद से निपटने के लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं।''
उन्होंने कहा कि अवैध तरीके से भारत में दाखिल हुए विदेशी, आतंरिक सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं। इससे देश के अनेक क्षेत्रों में सामाजिक असंतुलन की समस्या भी उत्पन्न हो रही है। इसके साथ ही आजीविका के अवसरों पर भी भारी दबाव अनुभव किया जा रहा है।
कोविंद ने कहा, '' मेरी सरकार ने यह तय किया है कि घुसपैठ की समस्या से जूझ रहे क्षेत्रों में 'नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स'की प्रक्रिया को प्राथमिकता के आधार पर अमल में लाया जाएगा। घुसपैठ को रोकने के लिए सीमा पर सुरक्षा को और सशक्त किया जाएगा।''
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार जहां घुसपैठियों की पहचान कर रही है, वहीं आस्था के आधार पर उत्पीड़न का शिकार हुए परिवारों की सुरक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध है। इसके लिए भाषाई, सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को उचित संरक्षण देते हुए नागरिकता कानून में संशोधन का प्रयास किया जाएगा।
उन्होंने कहा, '' मेरी सरकार जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को सुरक्षित और शांतिपूर्ण माहौल देने के लिए, पूरी निष्ठा के साथ प्रयास कर रही है। वहां पर स्थानीय निकायों के शांतिपूर्ण चुनाव और हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव से हमारे इन प्रयासों को बल मिला है। मेरी सरकार जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए आवश्यक हर कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है।''
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार देश को नक्सलवाद से मुक्ति दिलाने पर भी संकल्पबद्ध होकर काम कर रही है। इस दिशा में पिछले पांच वर्ष में काफी सफलता मिली है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों का दायरा निरंतर घट रहा है।
उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में इन क्षेत्रों में विकास के कार्यक्रमों में और तेज़ी लाई जाएगी जिससे वहां रहने वाले आदिवासी लोग लाभान्वित होंगे।